बारिश और ओलों ने टमाटर समेत सब्जियों की खड़ी फसल की तबाह


पिछले दो दिन की बारिश और ओलों ने टमाटर समेत सब्जियों की खड़ी फसल तबाह कर दी है। नुकसान ऐसा है कि किसानों के सामने घर का खर्च चलाने के लाले पड़ सकते हैं। भास्कर टीम ने राजधानी से लगे इलाके कुम्हारी, अहिवारा, धमधा, बेरला, साजा, बेमेतरा और आसपास का जायजा लिया और पाया कि सब्जियों के अच्छे उत्पादन वाले इन इलाकों में कच्ची फसल इस तरह टूटी है कि कई किसानों के पूरे-पूरे खेत उजड़ गए हैं। मुसीबत उन किसानों की तो है ही, जिन्होंने कर्ज लेकर खेती की पर दिक्कतें उनकी भी हैं। जिन्होंने धान का मुनाफा रबी यानी चना-दलहरन और सब्जियों में लगा दिया था।  इनके लिए मूल तो दूर, ब्याज चुकाना मुश्किल हो गया है। 



खरीफ यानी धान के तुरंत बाद प्रदेश में रबी फसलों के साथ-साथ बड़ी मात्रा में टमाटर और सब्जियां लगाई जाती हैं। रायपुर से लगे पूरे मैदानी इलाकों में यही ट्रेंड है। यहीं सोमवार की रात और मंगलवार को सुबह जमकर ओले गिरे। ओलों का अाकार ऐसा था कि टमाटर पूरी तरह तबाह हो गया। थानखम्हरिया के पास करीब 20 एकड़ में टमाटर, पपीता और चना लगाने वाले किसान मांगी लाल, तेहू राम और अमरीका बाई की पूरी फसल चौपट हो गई। उन्होंने पपीते का एक-एक पौधा 14-14 रुपए में खरीदा था। सारे पौधे खराब हो गए। इसी तरह, 12 से 15 किलो तक टमाटर निकालनेवाले पेड़ धराशायी हैं और दो-तीन दिन में काले पड़ने लगेंगे।


यहीं 25 एकड़ क्षेत्र में टमाटर लगाने वाले जीवन वर्मा की भी पूरी फसल बर्बाद हो गई। दोपहर को दैनिक भास्कर की टीम जब उनके खेत पहुंची तो वे ओले से गिरे टमाटर के पौधों को इस उम्मीद से देख रहे थे कि शायद कुछ बच गए हों। इसी तरह, 24 फरवरी की रात भारी ओलावृष्टि से कुम्हारी, चरौदा और अहिवारा क्षेत्र के किसानों की सैकड़ों एकड़ सब्जी बर्बाद हो गई। कुम्हारी के पास खेती करने वाले रुगधर यादव के 150 एकड़ खेत में लगा टमाटर बचा, न गोभी, प्याज, तरबूज, सेम और बरबट्टी। नजदीकी गांव सिरसा के अशोक चंद्राकर ने 100 एकड़ में टमाटर लगाया है। पौधे तो गिरे ही हैं, कच्चे टमाटर भी टूटकर फैल गए हैं। 


रबी-सब्जी सभी को बड़ा नुकसान
रबी की फसलों में चना, तिवरा और सब्जियों में टमाटर, गोभी, पपीता आदि को जमकर नुकसान पहुंचा है। सोमवार को नुकसान कुछ क्षेत्रों में था, मंगलवार को ओलों ने रही-सही कसर पूरी कर दी। 
डा. जीके दास, एचओडी कृषि विवि मौसम विभाग


अब बचे सिर्फ दो रास्ते
जिनका बीमा: सरकारी व निजी बीमा कंपनियां किसानों को मुअावजा देंगी। पहले अफसर फसल के नुकसान का आंकलन करेंगे। इसके बाद क्लेम तय होगा।
बीमा नहीं : जिले के कृषि व उद्यानिकी विभाग के अधिकारी राजस्व विभाग को पत्र लिखकर क्षतिपूर्ति मांगेंगे, तब अफसर क्लेम तय करेंगे